अंकित के आंदोलन पर बोले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल...
बागबाहरा।कांग्रेस के सक्रिय युवा नेता एवं छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के पूर्व सदस्य अंकित बागबाहरा ने भाजपा नेता हितेश नायकराम चंद्राकर पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ 31 घंटे की भूख हड़ताल की 20 दिन पूर्व की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद आखिरकार पुलिस द्वारा उनका बयान दर्ज किया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में गहरी हलचल पैदा हो गई है।
आरोपों की लंबी फेहरिस्त
अंकित बागबाहरा का आरोप है कि भाजपा नेता हितेश चंद्राकर ने पुलिस की मौजूदगी में एनएच 353 पर माइक पोंगा लगाकर कई बार सड़क अवरोध किया। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अंकित की जाति और उनके पिता की जाति को लेकर अपमानजनक बातें कही बल्कि दिवंगत पिता के डीएनए परीक्षण की मांग तक कर डाली।
इतना ही नहीं उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए भी सार्वजनिक रूप से अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि अगर मां का दूध पिया है तो आकर दिखाओ साथ ही अंकित की मां के बारे में भी अश्लील और अभद्र गालियां दी गईं।
हितेश चंद्राकर द्वारा एक महिला नायब तहसीलदार के सामने भी गाली गलौच की गई और अंकित को सार्वजनिक रूप से जान से मारने की धमकी दी गई। यह सब पुलिस के सामने हुआ और रिकॉर्ड भी किया गया साथ ही अंकित ने स्वयं भी व्हाट्सएप और चिप में कई वीडियो और फोटो सबूत प्रशासन को सौंपे।
शिकायत और कार्रवाई में देरी
अंकित ने बताया कि उन्होंने 13 मई और 26 मई को बागबाहरा एसडीओपी कार्यालय में शिकायत और स्मरण पत्र सौंपे थे परंतु 20 दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई मजबूर होकर उन्होंने 31 घंटे की भूख हड़ताल का सहारा लिया जिसके बाद सिर्फ बयान लेने के लिए उन्हें बुलाया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया...
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया फेसबुक वॉल पर साझा करते हुए अंकित के गांधीगिरी वाले आंदोलन का समर्थन किया उन्होंने लिखा कि –
"गांधीमार्ग ही सत्य और न्याय का मार्ग है।"
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के पूर्व सदस्य एवं कांग्रेस नेता अंकित बागबाहरा को भाजपा के लोगों द्वारा जान मारने की धमकी दी गई।साक्ष्य होने के बाद भी 20 दिन तक एफआईआर नहीं लिखी गई है। 31 घंटे के भूख हड़ताल सत्याग्रह के बाद सिर्फ बयान लेने के लिए बुलाया गया है। जान से मारने का षड्यंत्र रचने वाले समझ लें कांग्रेस के खिलाफ दमन और अन्याय की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।इस समर्थन के बाद आंदोलन को और अधिक राजनीतिक बल मिला है।
भूख हड़ताल का समापन
भूख हड़ताल के दौरान अंकित को समर्थन देने के लिए कई वरिष्ठ किसान नेता और कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित रहे सभी ने एकजुट होकर संघर्ष को आगे बढ़ाने की बात कही अंततः साथियों की सहमति से उन्हें जूस पिलाकर भूख हड़ताल तुड़वाई गई।
इस अवसर पर प्रीतम साहू मायाराम ध्रुव मानसिंह ध्रुव रघुराम साहू राजू यादव वीरेंद्र शुक्ला कृष्ण हरपाल राजेंद्र मोगरे इंद्र कुमार चौहान सहित कई अन्य जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
"संघर्ष अभी जारी रहेगा"
अंकित बागबाहरा ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है, उन्होंने कहा कि वे किसानों और आमजनों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे और भाजपा नेताओं की गुंडागर्दी तथा प्रशासन की चुप्पी को हर मंच पर उजागर करेंगे।
संपादकीय टिप्पणी.....
यह मामला न केवल एक राजनीतिक प्रतिशोध का प्रतीक है बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता और समाज में बढ़ती असहिष्णुता पर भी गंभीर सवाल उठाता है। यदि साक्ष्य और गवाह होते हुए भी एफआईआर दर्ज नहीं होती तो यह लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों पर सीधा हमला है।
"संघर्ष जब तक न्याय ना दिला दे तब तक रुकना नहीं यही है लोकतंत्र की असली ताकत।"
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