आरएचओ कर्मचारियों का विरोध ,ऑनलाइन डाटा एंट्री से कार्यमुक्ति की उठी मांग, 33 जिलों और 150 ब्लॉकों से सौंपे गए ज्ञापन

 



रायपुर। रायपुर राज्यभर के आरएचओ (स्वास्थ्य संयोजक) कर्मचारियों ने ऑनलाइन डाटा एंट्री को कार्य दायित्वों से हटाने की मांग को लेकर 33 जिलों और 150 ब्लॉकों से राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर ज्ञापन सौंपा है। कर्मचारियों का कहना है कि वे क्लिनिकल और नर्सिंग संवर्ग के अंतर्गत आते हैं, और डाटा एंट्री जैसे कार्य उनकी सेवा प्रकृति का हिस्सा नहीं हैं।

ज्ञापन में मुख्य मांगें और आपत्तियां

आरएचओ कर्मचारी संघ ने पहले भी 7 अक्टूबर 2024 और 22 अक्टूबर 2024 को राज्य और जिला स्तरीय ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे पर चर्चा और समाधान की मांग की थी। बावजूद इसके, स्वास्थ्य विभाग द्वारा बिना किसी वार्ता या समाधान के ऑनलाइन रिपोर्टिंग को कार्य एवं उत्तरदायित्व में शामिल कर दिया गया, जिस पर संगठन ने कड़ा विरोध जताया है।

प्रदेश अध्यक्ष टार्जन गुप्ता ने बताया कि अक्टूबर 2024 से ही संगठन ने ऑनलाइन कार्य बंद कर दिया था, जिसकी विधिवत सूचना विभागीय सचिव, संचालक एवं मिशन संचालक को दी गई थी। उन्होंने कहा कि आरएचओ संवर्ग की नियुक्ति क्लिनिकल सेवाओं के लिए हुई है और वे स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को सफलतापूर्वक ज़मीन तक पहुंचा रहे हैं।

तकनीकी दक्षता और संसाधनों की कमी

प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश जायसवाल ने बताया कि डाटा एंट्री जैसे कार्यों के लिए विशेष एप्स और वेबसाइट का प्रयोग करना होता है, जबकि आरएचओ संवर्ग को न तो तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है और न ही आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इस स्थिति में उनसे ऑनलाइन कार्य करवाना अनुचित है।

प्रदेश सचिव प्रवीण ढिंढवंशी ने कहा कि आरएचओ की नियुक्ति नियमावली में कंप्यूटर दक्षता अनिवार्य नहीं है, और ऐसे में उनसे डाटा एंट्री जैसे तकनीकी कार्य लेना अव्यवहारिक एवं अनुचित है। उन्होंने यह भी बताया कि इस अतिरिक्त कार्य के लिए न तो समय निर्धारित किया गया है, न संसाधन और न ही किसी प्रकार का भत्ता।

भत्ते का अभाव और वरिष्ठ कर्मचारियों की समस्याएं

प्रदेश प्रवक्ता सुरेश पटेल ने बताया कि विभाग द्वारा वर्षों 2022, 2023 और 2024 में आरसीएच एंट्री कार्य हेतु 200 से 300 रुपये मासिक प्रोत्साहन देने की बात कही गई थी, लेकिन राज्य के किसी भी आरएचओ को यह राशि अब तक नहीं मिली है। कई वरिष्ठ कर्मचारी स्मार्टफोन चलाने में सक्षम नहीं हैं, फिर भी उन पर ऑनलाइन कार्य का दबाव बनाकर नोटिस और वेतन कटौती जैसी कार्यवाही की जा रही है।

महिला कर्मचारियों की समस्याएं और नेटवर्क बाधाएं

महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष सरोज बाघमार और उपाध्यक्ष रमशीला साहू ने संयुक्त रूप से कहा कि संवर्ग में कई वरिष्ठ महिलाएं हैं, जिनमें तकनीकी ज्ञान की कमी है। वनांचल क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्याएं आम हैं, जिससे वहां ऑनलाइन एंट्री करना लगभग असंभव हो जाता है। इन परिस्थितियों को देखते हुए आरएचओ कर्मचारियों से डाटा एंट्री का कार्य लेना व्यावहारिक नहीं है।

संवर्ग में रिक्त पद और कार्य का दबाव आईटी सेल प्रभारी संतलाल साहू ने बताया कि राज्य के कई स्वास्थ्य केंद्रों में एएनएम और एमपीडब्ल्यू जैसे तकनीकी पदों की भारी कमी है। कई स्थानों पर कर्मचारी प्रमोशन या सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। इससे एक ही कर्मचारी पर तीन लोगों का कार्यभार डाल दिया गया है, जिससे कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान और हतोत्साहित हो रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे कोविड काल में ऑपरेटर नियुक्त किए गए थे, उसी तरह अब भी स्थायी डाटा एंट्री स्टाफ की नियुक्ति की जाए।

निष्कर्ष

राज्यभर के आरएचओ कर्मचारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे क्लिनिकल और नर्सिंग सेवाओं में प्रशिक्षित हैं और डाटा एंट्री जैसे तकनीकी कार्य उनकी कार्यक्षमता और सेवा शर्तों के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने विभाग से मांग की है कि उनके संवर्ग से ऑनलाइन कार्यों को तत्काल हटाया जाए और भविष्य में इस पर कोई दंडात्मक कार्यवाही न की जाए।


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